Food Chain
किसी विशिष्ट परिस्थितिकी तंत्र के अंतर्गत विभिन्न अवयवों के मध्य के संबंध के सुनिश्चित क्रम को भोजन श्रंखला कहा जाता है। इनमेंप्रत्येक अवयव अपनी श्रंखला में अपने से नीचे क्रम के सदस्य पर अपने भोजन के लिए निर्भर रहता है। उदाहरण के लिए हिरण घास को खाता है और शेर हिरण को।
भोजन श्रंखला के प्रकार (type of food chain )
किसी पारिस्थितिकी तंत्र के अंतर्गत सामान्य रूप से तीन प्रकार की भोजन श्रंखला में पाई जाती हैं यह हैं-
- परभक्षी भोजन श्रंखला (Predator Food Chain)
- परजीवी भोजन श्रंखला (parasitic food chain)
- मृत जिवी भोजन श्रंखला (Saprophytic Food chain)
परभक्षी भोजन श्रंखला
वह भोजन श्रंखला जो किसी प्राथमिक उपभोक्ता अर्थात शाकाहारी से आरंभ होती है तथा किसी अंतिम मांसाहारी उपभोक्ता पर समाप्त होती है तथा जिसके मध्य में खाने एवं स्वयं के खाने जाने के लिए प्रक्रिया निहित रहती है, परभक्षी भोजन श्रंखला कहलाती है। जैसे-टिड्डी मेंढक सांप मोर।
परजीवी भोजन श्रंखला(Parastic Food Chain)
इस प्रकार की भोजन श्रंखला का आरंभ हुई एक प्रारंभिक उपभोक्ता शाकाहारी से होता है,परंतु इस प्रकार की श्रंखला में उपभोक्ता का आकार प्रत्येक अनुवर्ती क्रम पर घटता जाता है। बड़े पशु को मेजबान एवं सबसे छोटे को परजीव कहा जाता है।
मृतजीवी भोजन श्रृंखला
इस प्रकार की भोजन श्रंखला के अंतर्गत ऊर्जा का प्रभाव मेरठ कार्बनिक पदार्थ से होता है तथा सूक्ष्म जीवाणुओं तक जाता है। जैसे —- मृत कार्बनिक पदार्थ जीवाणु,
तालाब में भोजन श्रंखला
तालाब में पादप प्लेवक प्रमुख उत्पादक होते हैं। प्राणी प्लवक पादप प्लवक को खाकर जीवित रहते हैं तथा उनसे अपना पोषण प्राप्त करते हैं। इसी क्रम में प्राणी प्लवको को विभिन्न कीटाणुओं लार्वा द्वारा भोजन के रूप में खाया जाता है। लार्वा को कुछ छोटी – छोटी मछलियों द्वारा एवम् छोटी मछलियों को बड़ी मछलियों द्वारा भेजें के रूप खाया जाता है।ये ऐसी प्रक्रियाएं हैं, जिनके द्वारा श्रृंखला के समस्त सदस्य अपनी ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करते हैं।ऐसी भोजन श्रृंखला को इस प्रकार से दर्शाया जाता है – पादप प्लवक , कीटाणुओं के पर्व , छोटी मछलियां, बड़ी मछलियां।